“सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व”

 “सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व”यूनिफॉर्म सिविल कोड से समाज के सभी लोगों के लिए एक ही कानून होगा जिससे लोगों को कहीं ज्यादा भटकना नहीं पड़ेगा। सभी धर्म के लोगों को ध्यान में रखते हुए यह नियम लागू होगा।यह कानून सामाजिक मामलों से संबंधित है इस नियम में सभी वर्ग के लोगों के लिए विवाह तलाक और गोद लेने बच्चा गोद लेने आदि जैसे सभी मामलों के लिए एक कानून होगा।यह भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता के संबंध में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और शरिया और धार्मिक रीति-रिवाजों की रक्षा में भारत के राजनीतिक वामपंथी, मुस्लिम समूहों और अन्य रूढ़िवादी धार्मिक समूहों और संप्रदायों द्वारा विवादित बना हुआ है। अभी व्यक्तिगत कानून सार्वजनिक कानून से अलग-अलग हैं। को ध्यान में रखते हुए यह कानून लागू किया जाएगा

 

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

“सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व”अगर देखा जाए तो यह यूनिफॉर्म सिविल कोड विवाह तलाक और संपत्ति तथा गोद लेने वाले सभी के लिए एक नियम होगा।यह नियम परिवार के सदस्यों के अधिकारों में समानता तथा आपसी संबंध बनाए रखना।धर्म के आधार पर कोई रियासत नहीं की जाएगी यह नियम जाति धर्म और परंपरा के आधार पर कोई रियायत नहीं करेगा।यह नियम सभी धर्म के लिए एक होगा ना की अलग-अलग धर्म के लिए अलग-अलग नियम।

 

UCC हो लागू तो क्या होगा?

“सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व” उच्च के तहत सभी धर्म के लिए एक नियम लागू होगा चाहे वह तलाक से संबंधित हो या शादी तथा गोद लेने जैसे मामलों के लिए एक ही नियम होगा।बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे।-शरीयत के मुताबिक जायदाद का बंटवारा नहीं होगा।

UCC लागू होने से क्या नहीं बदलेगा?

सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व” इस नियम के आधार पर देखा जाए तो हिंदू और मुस्लिम सभी के लिए एक नियम बनाया गया है इस नियम में धार्मिक रीति रिवाज से कोई असर नहीं पड़ेगा जैसे हिंदू अपने रीति रिवाज के अनुसार और मुस्लिम अपने आप रहती है रिवाज के अनुसार काम करेंगे।जिस धर्म में जो रीति-रीवा रीति-रिवाज चल रहा है वही नियम इस रीति रिवाज में भी लागू होगा।ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे.इस नियम के लागू होने पर खान पान पर कोई बदलाव नहीं होगा पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 

संवैधानिक वैधता क्या है

“सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व” यह संवैधानिक वैधता पूरे भारत के नागरिकों के लिए एक समान होगा। यह यूनिफॉर्म सिविल कोड संवैधानिक अनुच्छेद के 44 के तहत आता है।अगर देखा जाए तो इस संवैधानिक वैधता के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण के अंतर्गत है।अगर देखा जाए तो यह नियम सभी धर्म के लिए होंगे सरल भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा. मजहब और धर्म के आधार पर मौजूदा अलग-अलग कानून एक तरह से निष्प्रभावी हो जाएंगे।

यूनिफॉर्म सिविल कोड की उत्पत्ति कब हुई थी

“सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व” यूनिफॉर्म सिविल कोड की उत्पत्ति ब्रिटिश सरकार शासन काल में 1835 अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।खासकर इस रिपोर्ट में हिंदू और मुस्लिम वर्ग के लोगों को अलग रखने की सिफारिश की गई थी1937 के अधिनियम की समीक्षा की गई और समिति ने हिंदुओं के लिए विवाह और उत्तराधिकार की नागरिक संहिता की सिफारिश की।ब्रिटिश सरकार के अंत में व्यक्तियों के मुद्दों को मिटाने के लिए सरकार को 1941 में हिंदू कानून को संहिताबद्ध करने के लिए बी एन राव समिति बनाने के लिए बाध्य किया।इस कानून का मुख्य उद्देश्य हिंदू कानून की आवश्यकता के प्रश्न की जांच करना था विशेष कर यहां कानून महिलाओं को समान अधिकार देगा।

क्यों है यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी?

“सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व” देश में हो रहे आचार संहिता और अलग-अलग धर्म के विरोध के अनुसार यूनिफॉर्म सिविल कोड आना जरूरी हो गया है क्योंकि इस नियम के अनुसार सभी धर्म के लिए एक नियम होंगे यही कारण है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग उठती रही है।अगर देखा जाए तो अलग-अलग कानून के लिए कानूनी न्यायिक प्रणाली के प्रक्रिया में भी असर पड़ता है अगर देखा जाए तो वर्तमान समय में लोगों के शादी तलाक आते-मोटे से निपटने के लिए लोगों पर्सनल लॉ बोर्ड ही जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य कमजोर महिलाओं और गरीब परिवारों की सुरक्षा प्रदान करना।

यूनिफॉर्म सिविल कोड से समाज का प्रभाव

“सामाजिक परिवर्तन की दिशा: भारत में समान नागरिक संहिता का महत्व”यूनिफॉर्म सिविल कोड से समाज के सभी लोगों के लिए एक ही कानून होगा जिससे लोगों को कहीं ज्यादा भटकना नहीं पड़ेगा। सभी धर्म के लोगों को ध्यान में रखते हुए यह नियम लागू होगा।यह कानून सामाजिक मामलों से संबंधित है इस नियम में सभी वर्ग के लोगों के लिए विवाह तलाक और गोद लेने बच्चा गोद लेने आदि जैसे सभी मामलों के लिए एक कानून होगा।यह भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता के संबंध में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और शरिया और धार्मिक रीति-रिवाजों की रक्षा में भारत के राजनीतिक वामपंथी, मुस्लिम समूहों और अन्य रूढ़िवादी धार्मिक समूहों और संप्रदायों द्वारा विवादित बना हुआ है। अभी व्यक्तिगत कानून सार्वजनिक कानून से अलग-अलग हैं। को ध्यान में रखते हुए यह कानून लागू किया जाएगा

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