मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है

साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति होता है जो पहले साल का पहला पर्व त्योहार माना जाता है तो मकर संक्रांति की तिथि को लेकर आज हम इसके बारे में जानेंगे  सूर्य भगवान अपनी राशि परिवर्तन करके मकर राशि में प्रवेश करते हैं 15 जनवरी दिन सोमवार चतुर्थी तिथि को मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए मकर संक्रान्ति मनाया जाता है मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान शुभ माना जाता है

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है

जब सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वैसे शुभ समय को उत्तरायण काल माना जाता है उत्तरायण का जो समय होता है वह देवताओं का दिन माना जाता है
मकर संक्रांति के दिन शुभ कार्य की शुरुआत करना अच्छा माना जाता है

 प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति का महापर्व मनाया जाता है लेकिन कभी कभी सूर्य  देव की गति परिवर्तित होने के कारण इस महापूर्व को 15 जनवरी को भी मनाया जाता है मकर संक्रांति सबसे बडी संक्रांति होती हैं मकर संक्रांति का पुण्य कल ग्रहणकाल की तरह माना जाता है

मकर संक्रांति 
मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी को पुण्य काल के समय मनाया जाता हैं हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इस घटना को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है मकर संक्रांति के दिन स्नान,ताप, दान ,पूजा पाठ आदि का विशेष महत्व माना जाता है।
मकर संक्रांति 2024 पूजा की विधि पुण्य कल का समय स्नान कल का समय पूजा की विधि 
पूजा की विधि

मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर त्रिवेणी में स्नान करना चाहिए तो आपको महान पुण्य फल प्राप्त होता है त्रिवेणी का अर्थ होता है गंगा जमुना सरस्वतीतुलसीदास ने रामचरितमानस में स्पष्ट शब्दों में बताया है कि जब माघ मास में सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सारे देवी देवता देवलोक से पृथ्वी लोक पर आकर के गंगा जमुना सरस्वती (त्रिवेणी) में स्नान करते हैं तो ऐसे शुभ समय में गंगा जमुना जाकर स्नान करेंगे तो हमें महान पुण्य की प्राप्त हो गई।

मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर के साफ सफाई करनी चाहिए उसके पश्चात गंगाजल में युक्त पानी में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए जिससे सूर्य देव भगवान खुश रहते हैं।अगर देखा जाए तो स्नान गंगा में करना चाहिए उसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव भगवान का नमस्कार करें। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव का सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए सूर्य देव की आरती करके उसके पश्चात उन्हें भोग लगा सकते हैं।

मकर संक्रांति 2024 का दिन

मकर संक्रांति 2024 दिन 15 जनवरी 2024 को पड़ता है पुण्य कल का समय 7:45 a.m से शाम 5:46 pm तक  रहेगा मकर संक्रांति 2024 की कुल अवधि 10 घंटे 31 मिनट का होगा महा पुण्य कल का समय सुबह 7:15 a.m से 9:00 बजे  तक रहेगा महा पुण्य कल का कुल आबादी एक घंटा 45 मिनट का होगा

मकर संक्रांति के दिन अश्वमेध यज्ञ

प्राचीन काल में राजा अश्वमेध यज्ञ किया करते थे धर्म ग्रंथो पुराणों में लिखा हुआ है कि जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करता है यदि रात्रि कल में उनके संक्रमण हो रहा है यानी राशि परिवर्तन हो रहा है तो ऐसी परिस्थितियों में मकर संक्रांति का जो पुण्य काल है वह अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद ही माना जाएगा। इसलिए मकर संक्रांति का महापर्व पुण्य काल तथा पर्व कल 15 जनवरी 2024  दिन सोमवार को ही माना जाएगा मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को ही माना जाएगा 15 जनवरी को सुबह को सुबह ब्रह्म मुहूर्त से पुण्य का आरंभ हो जाएगा।

मकर संक्रांति में क्या करें दान

मकर संक्रांति के दिन दिया गया दान या किया गया पुण्य कर या कोई भी अनुष्ठान कार्य किया गया हो तो उसका अनंत गुना फल प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन काली वस्तु या काले तिल की दान करना शुभ माना जाता है इसके अलावा गरीब व्यक्तियों को दान  करना चाहिए ।गरीब लोगों को जैसे घी वस्त्र, चावल,दाल,नमक और खिचड़ी का दान करना चाहिए।

काले तिल का दान 
इसी कारण मकर संक्रांति पर काले तिल का दान करना चाहिए ।गुड और तिल से लड्डू बनाकर भगवान का भोग लगाकर ब्राह्मण देवताओं को दान करना चाहिए क्योंकि तिल शनिदेव का प्रतीक माना गया है।
गुड का दाना

जब सूर्य देवता धनुरासी राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर राशि के स्वामी शनिदेव है तथा कुंभ राशि के देवता शनि देव है।लगातार दो माह की अवधि सूर्य देवता शनि देव जी के घर में निवास करेंगे। तो सूर्य का प्रतीक गुण माना गया है और शनि का प्रतीक तिल माना गया है इसीलिए गुड और तिल का जो मिश्रण होता है वह मकर संक्रांति पर सबसे श्रेष्ठ माना गया है

मकर संक्रांति इस बार 14, 15 जनवरी को मनाया जाएगा खास कर देखा जाए तो सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसीलिए मकर संक्रांति मनाया जाता है मकर संक्रांति में दान और पुण्य का विशेष महत्व दिया जाता है मकर संक्रांति को गंगा स्नान करना शुभ माना गया है

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